कल दतौड गाँव के प्रथम दसवीं पास मास्टर केहरी सिंह का स्वर्गवास हो गया । उनकी उम्र लगभग 90 वर्ष की थी । वो बहुत ही शरीफ एवं सादे व्यक्तित्व के थे । वो एक प्रसिद्ध हारमोनियम वादक भी थे जिन्हें गाने और बजाने का बहुत शोक था । उन्हें बहुत ही पुरानी बातों, कथाओं, वेदों, ग्रंथों, रागनियों एवं भजनो का ज्ञान था । वो सत्संग और कीर्तन में भी जरूर जाते और गाते थे । वो अक्सर स्कूलों और सभाओं में जाकर अंग्रेजी में भाषण भी देते थे । किस्मत में लिखे संघर्ष के कारण उनका पूरा जीवन सादगी एवं गरीबी में व्यतीत हुआ । उन्होंने अपना पूरा जीवन एक छोटी सी परचून की दुकान के सहारे ही बिताया । उसी दुकान में वो बच्चों को अंग्रेजी एवं संगीत भी सिखाते थे । बड़े बुजुर्ग भी उनके पास दादा लख्मीचंद की रागनी एवं भजन सुनने के लिए बैठते थे । औलाद ना होने के कारण उनका पूरा जीवन बड़ा ही संघर्षमय रहा ।
उनकी कमी गाँव में हमेशा महसूस रहेगी । हर सत्संग एवं कीर्तन में वो जरूर याद आएंगे । परमात्मा उनकी आत्मा को अपने चरणों में जगह दे एवं शांति प्रदान करे और शोकाकुल परिवार को यह असीम दुःख सहने की शक्ति दे......ऐसी हमारी अश्रुपूरित कामना है.....जय बाबा सीताराम
उनकी कमी गाँव में हमेशा महसूस रहेगी । हर सत्संग एवं कीर्तन में वो जरूर याद आएंगे । परमात्मा उनकी आत्मा को अपने चरणों में जगह दे एवं शांति प्रदान करे और शोकाकुल परिवार को यह असीम दुःख सहने की शक्ति दे......ऐसी हमारी अश्रुपूरित कामना है.....जय बाबा सीताराम
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